हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अल्लामा हसनजादेह आमुली, जिन्हें फेफड़ों की बीमारी के कारण शनिवार (25 सितंबर) को आमुल के इमाम रजा अस्पताल में भर्ती कराया गया था, देर रात उन्होने इस संसार को छोड़ दिया।
अल्लामा हसनज़ादेह आमुली का जन्म 1928 में ईरान के शहर आमुल के लारिजान जिले के ईरा गाँव में हुआ था। वह एक धर्मशास्त्री, दार्शनिक, न्यायविद, रहस्यवादी, खगोलशास्त्री और उस्तादे हौज़ा थे।
इस्लामी जगत के ये प्रख्यात और विश्व-विख्यात धार्मिक विद्वान साहित्य, गणित, खगोल विज्ञान आदि जैसे विज्ञानों में पारंगत थे, और फ्रेंच और अरबी भाषा पर भी उन्हे पूर्ण कमांड प्राप्त था, और अरबी और फारसी में उनकी प्रेरक और आकर्षक नज़मे मौजूद है। अब तक अल्लामा हसनज़ादेह आमुली के नाम से लगभग 190 विद्वतापूर्ण रचनाएँ दर्ज की जा चुकी हैं।
अल्लामा हसनज़ादे आमुली के पास दर्शन (फ़लसफ़ा), रहस्यवाद (इरफान), गणित, खगोल विज्ञान, फारसी साहित्य आदि में कई विद्वतापूर्ण कार्य हैं। जैसा कि उनकी सबसे महत्वपूर्ण विद्वतापूर्ण रचनाओं में से एक है इशारात, शिफा और शरहे फुसुसुल हेकम, आदि, जो बहुत प्रसिद्ध हैं, जिन पर कई फुटनोट और टिप्पणियां भी लिखी गई हैं।
स्वर्गीय अल्लामा हसनज़ादेह अमली ने नहजुल बालागा, असफ़ारे अरबआ, कशफ़ुल मुराद और गुलिस्ताने सादी जैसी किताबो की भी व्याख् लिखी हैं और उनकी कविताओं का एक संग्रह (दीवान) भी प्रकाशित हुआ है।